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Dil Shayari

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इंसानियत कहाँ बची अब इस जमाने में ,
अब लोग दिल से नही,जरुरत से प्यार करने लगे है ..!!

तेरी मोहब्बत पर अब मेरा हक तो नही पर,
दिल कहता है की आखिरी साँस तक तेरा
इन्तजार करूँ ..!!

क्यों कहूँ मैं उनसे वापस लौट आने को…
क्या उन्हें खबर नही है कि,
मेरा दिल कही नही लगता उनके बिना ..!!

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किसी को पाना ही इश्क नही है..
किसी का दिल से होकर रह जाना इश्क है..!!

फिर से मिलने वाला है बेइंतिहा दर्द तुझे,
तैयार रह ये मेरे दिल…
कुछ लोग फिर पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से ..!!

कैसे करू मैं इंतजार,
तेरे वापस आने का..
अभी दिल को यकीन ही नहीं हुआ
तेरे चले जाने का ..!!

भूलना भुलाना तो बस एक वहम है दिल का..
कोई नही निकलता है,
दिल में एक बार बस जाने के बाद..!!

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ना नजर मिली , ना दिदार हुआ..!
सिर्फ दिल से दिल मिले ,
और हमे उनसे सच्चा प्यार हुआ..!!

मेरा दिल भी बहुत मतलबी है,
जो बिना मतलब के भी सिर्फ
तुझसे ही प्यार करता है..!!

अब उसके साथ रहूँ या फिर उस से किनारा कर लूँ,
जरा ठहर जा ऐ दिल मैं ये फैसला दोबारा कर लूँ।

ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो…
दिल तो अकसर एक दूसरे से भर जाया करते हैं।

इस से ज़्यादा तुम्हे और
कितना करीब लाऊँ मैं,

कि तुम्हे दिल में रख कर भी
मेरा दिल नहीं भरता ।

सौ बार कहा दिल से..
चल भुल भी जा उसको ।

हर बार कहा दिल ने..
तुम दिल से नही कहते ।

तजुर्बा कहता है
मोहब्बत से किनारा कर लूँ…
और दिल कहता है
ये तज़ुर्बा दोबारा कर लूँ।

मुझे रिश्तो की लम्बी कतारों से
क्या मतलब…
कोई दिल से हो मेरा तो एक
शख्स ही काफी है ।

मेरी आँखों में मत ढूंढा करो खुद को
पता है ना.. दिल में रहते हो खुदा की तरह।

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